न्यूयार्क/नयी दिल्ली, सितम्बर 27 -- विदेश मंत्री डा एस जयशंकर ने आत्मनिर्भरता , आत्मरक्षा और आत्मविश्वास को भारत का मूल मंत्र करार देते हुए कहा है कि वह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा और साथ ही अपनी स्वतंत्रता के साथ समझौता किये बिना ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा।
डा जयशंकर ने शनिवार को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुएपाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है और वहां आतंकवादी ठिकाने उद्योगों की तरह संचालित किये जाते हैं। उन्होंने आगाह किया कि जो देश आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को शह दे रहे हैं उन्हें एक दिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत के रूख को स्पष्ट करते हुए उन्होंंने कहा कि भारत तीन प्रमुख अवधारणाओं के मार्गदर्शन में समकालीन विश्व से जुड़ता है। "पहला आत्मनिर्भरता। इसका अर्थ है अपनी क्षमताओं का विकास करना, अपनी शक्तियों का निर्माण करना और अपनी प्रतिभा को निखारना। हम इसके परिणाम पहले ही देख चुके हैं, चाहे वह विनिर्माण क्षेत्र में हो, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में, दवा उत्पादन में या डिजिटल अनुप्रयोगों में। भारत में निर्माण, नवाचार और डिज़ाइन से विश्व को भी लाभ होता है।
दूसरा, आत्मरक्षा। हम देश और विदेश में अपने लोगों की रक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसका अर्थ है आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता, अपनी सीमाओं की मज़बूत रक्षा, सीमाओं से परे साझेदारी बनाना और विदेशों में अपने समुदाय की सहायता करना।
और तीसरा, आत्मविश्वास। सबसे अधिक आबादी वाले राष्ट्र के रूप में, एक सभ्य राज्य के रूप में, एक तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हम कौन हैं और हम क्या होंगे। भारत हमेशा अपनी पसंद की स्वतंत्रता बनाए रखेगा। और हमेशा वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बनेगा।"डा जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत की नीति आतंकवाद को कतई न बर्दाश्त करने की है और इसका मुकाबला करना देश की बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि यह आतंकवाद का केन्द्र है और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हमलों के पीछे इसी देश का हाथ है। उन्होंने कहा कि भारत आजादी के बाद से ही आतंकवाद के दंश को झेल रहा है।
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