गांधीनगर , अक्टूबर 08 -- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आईआईटीजीएन) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुस्तकालयों के बदलते परिदृश्य विषय पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। आईआईटीजीएन की ओर से बुधवार को यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि हाल ही में आयोजित इस सम्मेलन में देश- विदेश से कुल एक सौ पचहत्तर प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों में पुस्तकालय विज्ञान के विशेषज्ञों के साथ-साथ शोधकर्ता, उद्योग प्रतिनिधि, नीति निर्माता और सूचना प्रौद्योगिकी के जानकार भी शामिल थे। प्रतिभागी भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, सिंगापुर, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, इंग्लैंड, जर्मनी और अन्य देशों से आए थे।

यह सम्मेलन अपने पूर्ववर्ती संस्करणों पहले 2017 और दूसरे 2019 की सफलता पर आधारित रहा और इस बार और भी प्रभावशाली रूप में सामने आया। इस वर्ष सम्मेलन का मुख्य विषय था "कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ पुस्तकालय अनुभवों को बेहतर बनाना", जिसके अंतर्गत इस बात पर चर्चा हुई कि किस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नई तकनीकें पुस्तकालय प्रबंधन, उपयोगकर्ता सहभागिता तथा शोध सहयोग सेवाओं को नवाचारपूर्ण दिशा दे रही हैं।

सम्मेलन के प्रारंभ से पूर्व दो विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पहली कार्यशाला "कृत्रिम बुद्धिमत्ता पुस्तकालयों के लिए: खोज, चैटबॉट और अभिलेख निर्माण के अनुप्रयोग" विषय पर आयोजित की गई, जिसका संचालन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर के प्रोफेसर मयंक सिंह ने किया। दूसरी कार्यशाला "कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम खोज: पुस्तकालय पेशेवरों के लिए मूलभूत समझ का परिचय" विषय पर केंद्रित रही, जिसमें सिंगापुर प्रबंधन विश्वविद्यालय के एरोन टे और बेला रैटमेलिया वक्ता रहे।

दोनों कार्यशालाओं के माध्यम से प्रतिभागियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित विभिन्न उपकरणों तथा उनके पुस्तकालय सेवाओं में व्यावहारिक उपयोग का अनुभव प्राप्त हुआ। इन सत्रों ने प्रतिभागियों को तकनीकी रूप से सशक्त बनने और आधुनिक पुस्तकालय प्रबंधन में नवाचार अपनाने के लिए प्रेरित किया।

सम्मेलन का उद्घाटन सत्र अत्यंत गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया। इस अवसर पर, सलाहकार, पुस्तकालय एवं संस्थान अभिलेखागार डॉ टी एस कुम्बर ने सम्मेलन का अवलोकन प्रस्तुत करते हुए इसके उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर चेतन पहलाजानी, अध्यक्ष, सेनेट पुस्तकालय समिति ने आईआईटी गांधीनगर पुस्तकालय की शोध एवं शैक्षणिक सहयोग में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और इसे संस्थान की बौद्धिक प्रगति का आधार बताया।

सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र ( आईएनएफएलआईबीएनईटी) के निदेशक व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ देविका मदल्ली ने अपने संबोधन में पुस्तकालय पेशेवरों की नई और उभरती तकनीकों को अपनाने की क्षमता की प्रशंसा की तथा कहा कि आधुनिक युग में पुस्तकालयों की भूमिका केवल ज्ञान-संग्रह तक सीमित नहीं, बल्कि तकनीकी सशक्तिकरण का माध्यम भी है।

आईआईटीजीएन, अनुसंधान एवं विकास डीन, प्रोफेसर विमल मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए पुस्तकालयों की उस महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो वे स्थानीय ज्ञान के संरक्षण और पठन संस्कृति को प्रोत्साहित करने में निभाते हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय समाज के ज्ञान-आधारित विकास के केंद्र होते हैं। सत्र का समापन आईआईटी गांधीनगर के पुस्तकाध्यक्ष डॉ कन्नन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

सम्मेलन में चार मुख्य भाषण दिए गए। प्रो अनिर्बान दासगुप्ता ने "कृत्रिम बुद्धिमत्ता: अतीत, वर्तमान और भविष्य" विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो एंड्रयू कॉक्स ने "जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता से उत्पन्न तीन सूचना पेशेवर समस्याएँ" पर चर्चा की। एरोन टे ने "सत्य से परे: कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम खोज को समझना" पर व्याख्यान दिया। डॉ ए आर डी प्रसाद ने "पुस्तकालय और सूचना सेवाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोग: भविष्य की दिशा" पर अपने विचार साझा किए।

सम्मेलन में दस तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें इक्कीस आमंत्रित व्याख्यान, सत्र प्रस्तुतियाँ और नौ पोस्टर प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। प्रत्येक सत्र में उभरती तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग, संग्रह विकास, सूचना प्राप्ति, उपयोगकर्ता सहभागिता, शोध समर्थन, डिजिटल संरक्षण और शैक्षणिक अभ्यासों पर चर्चा हुई। नैतिक और कानूनी पहलुओं पर भी विचार किया गया। "संवाद से परे" सत्र ने प्रत्येक प्रतिभागी को पेशेवर नेटवर्किंग और विश्राम का अवसर प्रदान किया।

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