गांधीनगर , अक्टूबर 16 -- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आईआईटीजीएन) ने अंतरराष्ट्रीय चर्चा बैठक "गुरुत्वीय तरंगों की खोज के दस वर्ष: गुरुत्वीय भौतिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाना" का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

आईआईटीजीएन की ओर से गुरूवार को बताया कि यह कार्यक्रम वर्ष 2015 में गुरुत्वीय तरंगों (जीडब्ल्र्यूएस) की ऐतिहासिक खोज की दसवीं वर्षगांठ का उत्सव था। एक ऐसी उपलब्धि जिसने अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की शताब्दी पुरानी भविष्यवाणी को प्रमाणित किया और ब्रह्मांड के प्रति हमारी समझ को बदल दिया। पांच दिवसीय इस बैठक में भारत और विश्वभर से आए तीस से अधिक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने भाग लिया और गुरुत्वीय भौतिकी, खगोल भौतिकी तथा ब्रह्मांड विज्ञान में नवीनतम प्रगति पर उच्च-स्तरीय चर्चाएं कीं। इस आयोजन में तकनीकी सेमिनार, संवादात्मक सत्र और लाइगो-इंडिया (एलआईजीओ-आईएनडीआईए) पहल पर एक विशेष सत्र शामिल था, जिसने वैश्विक गुरुत्वीय-तरंग नेटवर्क में भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर किया।

ब्रूस एलेन (मैक्स प्लांक संस्थान, जर्मनी) ने लाइगो परियोजना की यात्रा का व्यक्तिगत विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें 2015 की ऐतिहासिक जीडब्ल्यू 150914 खोज तक के चुनौतियों और उपलब्धियों को साझा किया। के.जी. अरुण (सीएमआई, भारत) ने गुरुत्वीय तरंगों के माध्यम से सामान्य सापेक्षता के परीक्षण की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की। तरुण सौरदीप (आरआरआई, बेंगलुरु) ने आगामी सीएमबी भारत अंतरिक्ष मिशन की योजनाओं का परिचय दिया, जो ब्रह्मांडीय प्रकाश के सूक्ष्म ध्रुवीकरण संकेतों को मापेगा।

भारतीय शोधकर्ताओं, सायक दत्ता, सुमंता चक्रवर्ती, कबीर चक्रवर्ती, अभिजीत चौधरी, अप्रतीम गांगुली, राजेश घोष, शिवराज कंधसामी, संजीत मित्रा और अन्य ने अपने व्याख्यानों में ब्लैक होल के आसपास के डार्क मैटर परिवेश, अत्यधिक द्रव्यमान अनुपात प्रेरणाएँ, ज्वारीय ऊष्मा प्रभाव, गुरुत्वीय लेंसिंग पूर्वाग्रह तथा उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीकों जैसे अत्याधुनिक विषयों पर चर्चा की। हाल ही में आयोजित एक विशेष सत्र में लाइगो-इंडिया परियोजना की प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें भारत के विशेषज्ञ सुरेश दोरावरी (आईयूसीएए, पुणे), सुब्रोतो मुखर्जी (आईपीआर, अहमदाबाद), समीर जाधव (डीसीएसइएम, मुंबई) और योगेश वर्मा (आरआरसीएटी, इंदौर) शामिल थे।

संजीत मित्रा (आइयूसीएए, पुणे) द्वारा प्रस्तुत विशेष कोलोक्वियम में भारत की आने वाले समय में वैश्विक गुरुत्वीय-तरंग नेटवर्क में भूमिका पर प्रकाश डाला गया। अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों में मारिया अलेस्सांद्रा पापा (जर्मनी), थॉमस सोतिरियो (यूके), अलेक्ज़ेंडर निट्ज़ (अमेरिका), आंद्रिया मासेली (इटली) और डेविड हिल्डिच (पुर्तगाल) शामिल थे, जिन्होंने अगली पीढ़ी के डिटेक्टरों, सटीक वेवफॉर्म मॉडलिंग और गुरुत्वाकर्षण के नए खगोलीय परीक्षणों पर विचार- विमर्श किया।

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