रायपुर , नवंबर 18 -- सुरक्षा एजेंसियों को वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता मिली है। भाकपा (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सदस्य और दंडकारण्य क्षेत्र का सबसे कुख्यात कमांडर माड़वी हिड़मा मंगलवार तड़के आंध्र प्रदेश की पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया।

सुरक्षाबलों ने यह भी बताया कि इस मुठभेड़ में कुल छह माओवादी ढेर हुए हैं, जिनमें हिड़मा की पत्नी राजे उर्फ राजक्का भी शामिल थी। घटना आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेडुमिल्ली जंगल क्षेत्र में हुई। वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि मुठभेड़ सुबह लगभग 6:30 से 7 बजे के बीच चली, जिसमें हिड़मा और उसकी पत्नी के साथ सशस्त्र दस्ते के अन्य सदस्य भी मारे गए। घटनास्थल से दो एके-47 राइफलें, एक पिस्टल, एक रिवॉल्वर और विस्फोटक सामग्री का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है, जिनमें इलेक्ट्रिक और नॉन-इलेक्ट्रिक डेटोनेटर, फ्यूज़ वायर, कनेक्टर्स, कैमरा फ्लैश यूनिट और आईईडी निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं।

हिड़मा का सफर बाल संघम से शुरू होकर सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी तक पहुँचा था। वह संगठन में इन ऊँचे पदों तक पहुँचने वाला पहला आदिवासी नेता माना जाता है। 45 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले उसने दो महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं-सेंट्रल कमेटी का सदस्य बनना और PLGA बटालियन नंबर 1 की कमान संभालना, जो संगठन की सबसे घातक इकाई मानी जाती है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में उसकी तेज़ मूवमेंट क्षमता, सुरक्षाबलों की गतिविधियों को पहले भांप लेने की उसकी आदत और कठोर गुरिल्ला प्रशिक्षण ने उसे संगठन के भीतर अत्यंत प्रभावशाली बना दिया था। माना जाता है कि उसने फिलीपींस में विशेष गुरिल्ला ट्रेनिंग भी हासिल की थी।

पिछले कुछ हफ्तों से त्रिकोणीय सीमावर्ती क्षेत्र, यानी आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़-ओडिशा के बीच के जंगलों में माओवादियों की असामान्य गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। खुफिया एजेंसियों ने इन क्षेत्रों में भारी मूवमेंट का इनपुट दिया था, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने निगरानी और कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज कर दिया था। मंगलवार की सुबह सुरक्षाबलों ने मारेडुमिल्ली क्षेत्र में हिड़मा के दस्ते को घेर लिया, जिसके बाद घने जंगल घंटों तक गोलियों की आवाज से गूंजते रहे। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि घटनास्थल से मिला सामान और मारे गए नक्सलियों की संख्या माओवादी संगठन की कमांड संरचना को भारी नुकसान का संकेत देती है।

माड़वी हिड़मा पिछले डेढ़ दशक से भारत में नक्सल हिंसा का सबसे बड़ा चेहरा रहा है। उसका नाम ताड़मेटला (2010), झीरम घाटी (2013), बुरकापाल (2017), और सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ (2021) जैसी भीषण वारदातों में सीधे तौर पर जुड़ा माना जाता है। इन वारदातों में क्रमशः 76 जवान, कांग्रेस के 27 नेता, 24 जवान और 22 जवान शहीद हुए थे। वह कम से कम 26 बड़े हमलों की योजना का हिस्सा रहा था। उसके सिर पर एनआईए द्वारा 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि विभिन्न राज्यों ने मिलकर उस पर कुल 1 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम रखा था। सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से उसे संगठन का सबसे खतरनाक रणनीतिकार मानती रही हैं।

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