गुवाहाटी, सितंबर 27 -- असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में अपनी तरह के पहले अध्ययन में देशी कीटों और मकड़ियों की 283 प्रजातियां दर्ज की गई हैं।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की निदेशक सोनाली घोष ने एक बयान में कहा कि अध्ययन में 283 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है जिसमें 254 कीट प्रजातियां और 29 मकड़ी प्रजातियां शामिल हैं जो काजीरंगा की अक्सर उपेक्षित जैव विविधता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि ये निष्कर्ष कीट संरक्षण को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हैं, विशेष रूप से तब जब जलवायु परिवर्तन से प्रजातियों के तेजी से विलुप्त होने का खतरा है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट का शीर्षक "काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं टाइगर रिजर्व के वुडलैंड आवास के कीटों एवं मकड़ियों का खोजी अध्ययन" है और इसमें पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत पनबारी रिजर्व वन के वुडलैंड ट्रैक में प्रजातियों की प्रभावशाली विविधता का दस्तावेजीकरण किया गया है।
सुश्री घोष ने कहा कि यह वैज्ञानिक सर्वेक्षण कॉर्बेट फाउंडेशन के कीटविज्ञानियों द्वारा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों के सहयोग से किया गया और प्रकाशित किया गया। हाल ही में जारी रिपोर्ट में पार्क में कीड़ों और मकड़ियों के समृद्ध समुदाय पर प्रकाश डाला गया है।
अध्ययन का विवरण देते हुए सुश्री घोष ने बताया कि तितलियां और पतंगे दर्ज प्रजातियों का 30 प्रतिशत हैं जबकि चींटियां, मधुमक्खियां और ततैया 14 प्रतिशत हैं तथा झींगुर 12 प्रतिशत हैं।
असम के वन मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में कहा, "मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा के दूरदर्शी नेतृत्व में असम सभी प्रकार की जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। जलवायु परिवर्तन से प्रजातियों के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है इसलिए सबसे छोटे जीवों की भी रक्षा करना बहुत आवश्यक है।"उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 40 प्रतिशत कीट प्रजातियां निवास स्थल की हानि, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण लुप्त हो रही हैं। पूर्वोत्तर भारत में बारिश के पैटर्न में बदलाव और बढ़ते तापमान के कारण आवासों में पहले से ही बदलाव आ रहा है।
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