ईटानगर , नवंबर 10 -- अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के दिरांग उपमंडल में सोमवार को पूर्वोत्तर भारत के पहले भू-तापीय उत्पादन कुएं का पंपिंग परीक्षण शुरू हुआ।

यह पूर्वी हिमालय में नवीकरणीय ऊर्जा अन्वेषण को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होने के साथ ही देश की सतत एवं क्षेत्र-विशिष्ट स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

यह परीक्षण पृथ्वी विज्ञान एवं हिमालय अध्ययन केंद्र (सीईएसएचएस), ईटानगर के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा किया जा रहा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों राजिंदर भसीन, नॉर्वेजियन जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट (एनजीआई), ओस्लो के भू-तकनीकी इंजीनियर और जियोट्रॉपी, आइसलैंड के भू-तापीय अन्वेषण विशेषज्ञों का तकनीकी सहयोग शामिल है।

सीईएसएचएस के निदेशक ताना टेगे ने कहा कि इस महत्वपूर्ण परीक्षण का उद्देश्य भूमिगत भू-तापीय भंडार की स्थिरता एवं उत्पादकता का आकलन करना है जो पूर्वी हिमालय में भू-तापीय ऊर्जा क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा कि इन परिणामों से ग्राउंड सोर्स हीट पंप (जीएसएचपी) अनुप्रयोगों की व्यवहार्यता के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होने का अनुमान है, जिसमें भवनों के लिए हीटिंग और कूलिंग प्रणाली; हॉट स्प्रिंग स्पा जैसे स्वास्थ्य एवं जल पर्यटन उद्यम; और फल, मांस और अन्य उपज को सुखाने जैसी कृषि प्रसंस्करण सुविधाएं शामिल हैं।

अधिकारियों ने कहा कि पंपिंग परीक्षण का सफल समापन स्वच्छ, नवीकरणीय एवं क्षेत्र-विशिष्ट ऊर्जा समाधानों की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम होगा जो हरित ऊर्जा में सतत विकास और नवाचार के प्रति अरुणाचल प्रदेश की प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा।

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