मुंबई , अक्टूबर 01 -- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अमेरिकी आयात शुल्क और वैश्विक व्यापार को लेकर जारी अनिश्चितताओं के मद्देनजर रेपो दर तथा अन्य दरों में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक की बाद बुधवार को रेपो दरों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया है। अन्य दरों को भी यथावत रखा गया है।
इससे पहले, अगस्त में भी आरबीआई ने रेपो तथा अन्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। फरवरी, अप्रैल और जून में तीन बार में रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती की गयी थी।
नीतिगत दरों की घोषणा के बात संवाददाता सम्मेलन में श्री मल्होत्रा ने बताया कि खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी से दरों में कटौती के लिए संभावना बनी है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में 22 सितंबर से जारी कमी से आने वाले समय में मुद्रास्फीति कम बनी रहेगी। इसके बावजूद, अमेरिका द्वारा लगाये गये 50 प्रतिशत आयात शुल्क और वैश्विक कारकों की अनिश्चितता के कारण रेपो दरों में बदलाव नहीं किया गया है। रिजर्व बैंक कोई भी कदम उठाने से पहले और आंकड़ों का इंतजार करेगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन अमेरिकी आयात शुल्क से निर्यात प्रभावित होगा, विशेष रूप अमेरिका को होने वाले रत्न-आभूषण, श्रृंप, परिधानों, ब्रांडेड दवाइयों, जूते-चप्पल का निर्यात अधिक प्रभावित होगा।
रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही के मजबूत आंकड़ों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। दूसरी तिमाही का विकास अनुमान सात प्रतिशत, तीसरी तिमाही का 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही का 6.2 प्रतिशत रखा गया है। वहीं, अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
जीएसटी दरों में लागू कटौती के बाद खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई ने दूसरी और तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान जारी किया है।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि रेपो दर को लेकर एमपीसी के दो सदस्यों ने रुख को नरम बनाने के पक्ष में राय रखी थी, लेकिन अन्य सभी सदस्य इसे निरपेक्ष बनाये रखने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का फोकस वित्तीय और मूल्य स्थिरता बनाये रखने पर है।
इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने बैंकिग तंत्र में ऋण उठाव को बढ़ावा देने, भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने और बिजनेस को आसान बनाने के लिए भी कई कदमों की घोषणा की।
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