नयी दिल्ली , अक्टूबर 05 -- विदेश मंत्री डा एस जयशंकर ने अमेरिका के साथ टैरिफ के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच चल रही रस्साकशी के बीच साफ शब्दों में कहा है कि कुछ समस्याएं और मुद्दे हैं जिनका समाधान नहीं हो पा रहा है लेकिन इन्हें इस हद तक ले जाने की जरूरत नहीं है कि जिससे अन्य क्षेत्रोंं में संबंध भी प्रभावित हों।

विदेश मंत्री ने क्वाड समूह को लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लगाते हुए कहा कि यह अभी भी सक्रिय है और सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

डा जयशंकर ने रविवार शाम यहां चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में दुनिया भर में आर्थिक से लेकर व्यापारिक और राजनीतिक स्तर पर हो रहे बदलावों पर खुलकर भारत का दृष्टिकोण रखा।

बाद में उन्होंंने एक सोशल मीडिया पोस्ट मेंं कहा, " कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में 'अशांत समय में समृद्धि की तलाश' विषय पर एक विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए मुझे प्रसन्नता हुई। उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं, व्यापार, कनेक्टिविटी, डेटा और संसाधनों के लाभ से प्रेरित परिवर्तनों के रणनीतिक परिणामों पर प्रकाश डाला। साथ ही, विनिर्माण को विकसित करने, जीवन को आसान बनाने और हमारी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक बदलावों के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।"अमेरिका के साथ टैरिफ के मुद्दे पर बातचीत के संबंध में उन्होंंने कहा कि अमेरिका के साथ कुछ मुद्दे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि दोनोंं देशों के बीच व्यापारिक वार्ताओं का ठोस परिणाम नहीं निकल सका है । इसके कारण भारत पर दो तरह के शुल्क लगे हैं । रूस से तेल खरीद पर लगाये गये शुल्क को अनुचित बताते हुए उन्होंंने कहा कि हम पर निशाना साधा जा रहा है जबकि अन्य देशों ने भी ऐसा किया है। बातचीत से मुद्दे के समाधान पर जोर देते हुए उन्होंने कहा , " मुझे नहीं लगता कि हमें इसे इस हद तक ले जाना चाहिए कि यह संबंधों के हर पहलू तक पहुंच जाए। समस्याएं हैं, मुद्दे हैं। उन मुद्दों पर बातचीत, चर्चा और समाधान की आवश्यकता है और हम इसी तरह की कोशिश कर रहे हैं। "अनिश्चितता के दौर में चुनौतियों के जिम्मेदाराना आकलन पर जोर देते हुए उन्होंंने कहा कि इस स्थिति में वह न तो समस्या को नकारने की स्थिति में हैं और न ही यह मान रहे हैं कि बहुत बड़ी अनहोनी हो जायेगी।

अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के क्वाड समूह को लेकर चल रही अटकलबाजियों के बारे में उन्होंंने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से सक्रिय है और अपना काम कर रहा है। उन्होंंने कहा कि इस वर्ष क्वाड विदेश मंत्रियों की दो बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक समूह है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष क्वाड की अगली बैठक भारत में ही होनी है।

भारत के अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों पर उन्होंंने कहा कि शुरू में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) ज़्यादातर एशियाई देशों - आसियान, जापान और कोरिया के साथ थे। उन्होंने कहा कि चुनौती यह है कि कई अर्थव्यवस्थाएं ज्यादा प्रतिस्पर्धी हैं जो अक्सर आपूर्ति श्रृंखला की गतिशीलता के कारण चीन के लिए रास्ते खोलती हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान उन अर्थव्यवस्थाओं पर होना चाहिए जो टिकाऊ और पूर्वानुमानित हों। इसीलिए भारत ब्रिटेन के साथ एफटीए से संतुष्ट है। यूरोपीय संघ के साथ एफटीए को लेकर भी भारत गंभीर है और अमेरिका के साथ समझ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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