नयी दिल्ली , अक्तूबर 07 -- हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का जवाबदेही के साथ इस्तेमाल करने के महत्त्व पर बल देते हुए कहा है कि शब्दों में पवित्रता और शक्ति होती है इसलिए उनका प्रयोग गरिमा के साथ किया जाना आवश्यक है।

श्री शुक्ल ने यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित 'भारत में द्वेषपूर्ण भाषण और चुनाव राजनीति' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मंगलवार को कहा कि शब्दों का बहुत गहरा प्रभाव होता है। शब्दों से मित्रता और शत्रुता दोनों ही हो सकती है इसलिए इनका इस्तेमाल विनम्रता और गरिमा के साथ होना चाहिए। सभ्य समाज में वार्तालाप में शालीनता और सम्मान झलकना चाहिए।

राज्यपाल ने द्वेषपूर्ण भाषा की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समाज के कुछ प्रतिनिधियों और वर्गों के बीच सार्वजनिक संवाद का गिर रहा स्तर निराशाजनक है। संवाद में मर्यादा बनाए रखने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने नागरिकों से उन लोगों का समर्थन न करने का आग्रह किया जो द्वेषपूर्ण या विभाजनकारी बयानबाजी करते हैं।

उन्होंने कहा कि हिंसा केवल शारीरिक कृत्यों तक ही सीमित नहीं है, आहत करने वाला और द्वेषपूर्ण भाषण भी हिंसा का एक रूप है। उन्होंने शिक्षक समुदाय से युवा पीढ़ी को भाषा के जिम्मेदाराना इस्तेमाल के प्रति संवेदनशील बनाने का भी आग्रह किया और कहा कि शिक्षकों का युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

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