नयी दिल्ली , नवंबर 06 -- अफगानिस्तान में अफीम की खेती में इस वर्ष 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) की ताज़ा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है।

संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2025 में अफीम की खेती का क्षेत्रफल घटकर 10,200 हेक्टेयर रह गया है। यह साल 2024 में 12,800 हेक्टेयर था। साल 2022 में तालिबान के लगाए देशव्यापी प्रतिबंध के बाद इसके रकबे में गिरावट लगातार जारी है। इस प्रतिबंध से पहले यानी 2022 में यह क्षेत्र 2,32,000 हेक्टेयर तक फैला हुआ था।

खेती के रकबे में आई गिरावट के चलते देश में अफीम उत्पादन में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस वर्ष उत्पादन लगभग एक-तिहाई घटकर 296 टन रह गया है और किसानों की अफीम बिक्री से होने वाली आमदनी लगभग आधी हो गई है।

यूएनओडीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केवल अफीम की खेती खत्म कर देना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि किसानों को वैकल्पिक आजीविका के साधन उपलब्ध कराना और नशे की मांग घटाने के उपाय भी जरूरी हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कई किसानों ने अफीम की जगह अब गेहूं और दूसरी फसलों की खेती शुरू की है, लेकिन लगातार सूखे और कम वर्षा के कारण करीब 40 प्रतिशत कृषि भूमि बंजर पड़ी हुई है। इसके साथ ही पड़ोसी देशों से लगभग 40 लाख अफगानों की वापसी ने नौकरियों और संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है। इससे यह आशंका बढ़ गई है कि आर्थिक संकट के कारण कुछ किसान अफीम की खेती की ओर लौट सकते हैं।

यूएनओडीसी के सहयोग से कई किसानों ने अफीम छोड़कर वैध खेती अपनाई है। ज़हूर जैसे किसान अब अपनी जमीन पर कानूनी फसलें उगा रहे हैं, जिससे उन्हें स्थायी आमदनी मिल रही है और उनका जीवन बेहतर हो रहा है। यह परिवर्तन न केवल अफगान समाज के लिए सकारात्मक है, बल्कि वैश्विक स्तर पर नशे की समस्या से निपटने में भी मददगार साबित हो रहा है।

हालांकि, इस बीच एक नई चुनौती उभर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिंथेटिक ड्रग्स, विशेष रूप से मेथामफेटामिन का उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है। साल 2024 के अंत तक इन दवाओं की जब्ती पिछले वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक रही। यूएनओडीसी ने चेतावनी दी है कि अपराधिक गिरोह अब सिंथेटिक ड्रग्स की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि इन्हें बनाना आसान आसान मगर पकड़ना मुश्किल होता है।

संयुक्त राष्ट्र की अफगानिस्तान में उप-प्रतिनिधि जॉर्जेट गैगनॉन ने कहा कि मादक पदार्थों की समस्या केवल अफगानिस्तान तक सीमित नहीं है। आपूर्ति, मांग और तस्करी के जटिल तंत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पक्ष शामिल हैं, इसलिए इसे सुलझाने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग आवश्यक है।

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