नयी दिल्ली, सितंबर 26 -- केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने स्थानीय निकायों के काम काज की मजबूत के लिए स्थानीय स्तर के ठोस आंकड़ों के महत्व को रेखांकित करते हुए हर स्तर पर सांख्यिकी प्रणालियों को मजबूत करने पर जोर दिया है।

शुक्रवार को जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार राव इंद्रजीत सिंह चंडीगढ़ में अपने मंत्रालय द्वारा आयोजित केंद्रीय और राज्य सांख्यिकी संगठनों (सीओसीएसएसओ) के 29वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। दो दिन के इस सम्मेलन का शुक्रवार को समापन हआ। सम्मेलन का विषय था ' स्थानीय स्तर के शासन को सुदृढ़ करना।' उन्होंने कहा कि आंकड़े सामुदायिक ज़रूरतों को ठोस योजनाओं में बदल देते हैं इसी लिये समय पर, विश्वसनीय और वर्गीकृत आंकड़ों की मांग रहती है और सांख्यिकीविद् सटीक व्याख्या और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर सुशासन के लिए योजनाओं के मार्गदर्शन, निगरानी और सुधार को सक्षम करने के लिए विस्तृत और विश्वसनीय आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इसके लिए स्थानीय सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत करना स्थानीय शासन प्रणाली का अभिन्न कार्य हो जाता है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई भी योजना तभी प्रभावी होती है, जब उसके पीछे विश्वसनीय आंकड़े हों और इसलिए भारत के विकसित भारत 2047 के विज़न को साकार करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मज़बूत सहयोग महत्वपूर्ण है।

हिमाचल प्रदेश राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी सिंह पठानिया ने भी कहा कि उच्च-गुणवत्ता वाले आंकड़े प्रभावी विकेन्द्रीकृत नियोजन के लिए महत्वपूर्ण हैं और 73 वें और 74 वें संशोधनों के माध्यम से स्थानीय सरकारों के सशक्तिकरण के लिए सांख्यिकीय जानकारी की भूमिका जरूरी है।

सम्मेलन के दौरान सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने चिल्ड्रन इन इंडिया 2025 और एनवायर्नमेंटल अकाउंटिंग ऑन फॉरेस्ट्स - 2025 रिपोर्ट जारी की तथा पीएआईएमएएनए डैशबोर्ड, एनएमडीएस 2.0 पोर्टल और जीओआईएसटीएटीएस एप के आईओएस संस्करण के साथ एमओएसपी की नई वेबसाइट का शुभारंभ किया।

समापन सत्र में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालयों (डीईएस) को मजबूत करने को प्राथमिकता दिये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य को इसके लिए स्पष्ट रोडमैप तैयार करना चाहिए और इस मामले में मानव संसाधन पर ध्यान देना चाहिए।उन्होंने कहा कि केंद्र आवश्यकता पड़ने पर सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।

उन्होंने भूमि, श्रम और पूंजी की तरह आज के शासन में आंकड़ों को भी एक सम्पत्ति बताया। उन्होंने कहा कि आंकड़े तभी सम्पत्ति हो सकते हैं जब वे सुसंगत, विश्वसनीय और पर्याप्त रूप से विस्तृत हों, ताकि नीति निर्माताओं द्वारा साक्ष्य-आधारित नियोजन और निर्णय लेने के लिए इसका प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के सदस्य ए.के. साधु ने कहा कि सांख्यिकीय प्रणालियों के बीच समन्वय और संबंध जारी रहना चाहिए। उन्होंने न केवल केंद्र और राज्यों के बीच, बल्कि राज्यों के बीच भी निरंतर सहयोग का आह्वान किया, ताकि आपसी सीख भारत की सांख्यिकीय प्रणाली को और मज़बूत कर सके।

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