नई दिल्ली, मई 25 -- यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों का मुख्य त्यौहार माना जाता है। यह व्रत मुख्यत: ज्येष्ठ कृष्ण की अमावस्या को किया जाता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इस व्रत की कहानी सत्यवान और सावित्री से जुड़ी है। एक समय मद देश में अश्वपति नाम का राजा था। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए अपनी के साथ सावित्री देवी का व्रत और पूजन किया और पुत्री होने का वर मांगा। इस पूजा के बाद उनके यहां सर्वगुण संपन्न कन्या हुई, जिसका नाम सावित्री रखा गया। सावित्री जब विवाह के योग्य हुईतो राजा ने उससे अपना वर चुनने को कहा। एक दिन महर्षि नारज और अशवपति एँ, तभी सावित्री अपने वर का चयन करके लौची। नारद जी ने वर के बारे में पूछा तो सावित्री ने बताया कि राजा द्यम्रुत्य सेन जिनका राज्य हर लिया गया था, वो अपनी पत्नि और पुत्र के साथ वन में भटक रहे थे, उनके...