नई दिल्ली, फरवरी 25 -- आदि देव महादेव, जो आशुतोष भी हैं और भोले शंकर भी। एक ओर गृहस्थों के आदर्श हैं तो दूसरी ओर औघड़दानी, श्मशान साधक भी हैं। सत्यं शिवं सुंदरम् के प्रतीक शिव और उनकी रात्रि, महाशिवरात्रि जागरण की रात्रि है, जो चेतना से भरी है। यहस्वयं महाशिव हो जाने की रात्रि है। शिव पुराण में भगवान शंकर की बहुत-सी लीलाओं का वर्णन आता है। शिव जी के भक्त उनकी हर बात को 'लीला है' कहकर आनंदित हो जाते हैं। पर ज्ञान की दृष्टि से अगर देखें और समझें तो हर लीला का एक आध्यात्मिक अर्थ है। अगर आप उस आध्यात्मिक अर्थ को जान पाएं और समझ लें तो आपकी बुद्धि का अज्ञान दूर हो जाता है। इसलिए इन लीलाओं को समझना इतना सहज नहीं है। कृष्ण एवं राम के जन्म का समय हमें मालूम है, लेकिन ब्रह्मा, विष्णु और महादेव शंकर इन तीन देवताओं के जन्म के समय का उल्लेख कहीं पर भ...