दरभंगा, मार्च 21 -- जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को पौष्टिक भोजन कराकर सेहतमंद बनाने वाली रसोइया बदहाल हैं। नाममात्र के मानदेय की वजह से इनकी खुद की रसोई का चूल्हा बमुश्किल जलता है। रसोइयों को बच्चों की पढ़ाई के लिए कलम-कॉपी खरीदने में भी कठिनाई होती है। बीमारी या हादसे की स्थिति में कर्ज लेना पड़ता है। इसका सूद भरने में जिल्लत झेलनी पड़ती है। सरकारी स्कूलों में कार्य करने वाले रसोइयों की यह स्थिति लोगों को अचरज में डाल देती है। वहीं, रसोइए इसके लिए सरकार को जिम्मेवार बताते हैं। रसोइया कहती हैं कि 1650 रुपए महीना मानदेय निर्धारित है। यह भी सालभर में सिर्फ 10 माह मिलता है। महंगाई के इस दौर में इतनी कम राशि से लोग महीनेभर चाय-पान भी नहीं कर सकते हैं। फिर हम लोगों का पारिवारिक भरण-पोषण कैसे होता है, यह सरकार को सोचना चाहिए। रसोइया से...