औरंगाबाद, जून 4 -- बिहार और झारखंड के 12126 हेक्टेयर खेतों को सिंचित करने के उद्देश्य सर 1975 में शुरू हुई बटाने सिंचाई परियोजना (हडियाही परियोजना) 50 साल बाद भी अधूरी है। 4.77 करोड़ रुपये की लागत से शुरू इस परियोजना की लागत अब 40 गुना बढ़ चुकी है। बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद विवादों में फंसी इस परियोजना का खामियाजा दोनों राज्यों के किसान भुगत रहे हैं। परियोजना का लक्ष्य बिहार के 10720 हेक्टेयर और झारखंड के 1406 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई करना है। डैम झारखंड के पलामू जिले के नवडीहा प्रखंड में लक्ष्मीपुर गुलबझरी गांव के पास स्थित है जबकि बैराज लोदिया गांव के समीप है। लेफ्ट कैनाल का निर्माण पूरा हो चुका है लेकिन राइट कैनाल का काम झारखंड में अभी भी अधूरा है। विस्थापितों के मुआवजे को लेकर असंतोष ने परियोजना को जटिल बना दिया। गुस्साए विस्थापितों...