गंगापार, मार्च 4 -- करमा, हिन्दुस्तान संवाद होली का पावन पर्व आने में अब गिने चुने दिन बचे हैं लेकिन कहीं भी होली की उमंग नहीं दिखाई दे रही है। केवल दुकानों पर होली में उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री व रंग गुलाल आ गए हैं। लगातार 40 दिनों तक चलने वाला त्योहार तीन या चार दिनों में सिमट कर रह गया है। कुछ दशक पहले बसंत पंचमी के दिन गांव के बड़े बुजुर्गों की उपस्थिति में विधि विधान से होलिका की स्थापना की जाती थी और उसी दिन से होलियारे प्रतिदिन होलिका में उपले, लकड़ी आदि डालते थे। गांव की चौपालों में हारमोनियम, ढोलक व मजीरे की ताल पर होली गीत गाये जाते थे जिसमें गांव के लोग आपसी मतभेद भूलकर एक साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में एकत्र होते थे। पिछले कुछ वर्षों से इस त्यौहार ने एक नया रूप ले लिया है। अब होली का पर्व डीजे की धुनों पर नृत्य, पेंट की होल...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.