धनबाद, फरवरी 25 -- धनबाद, मुख्य संवाददाता आईआईटी रुड़की के पृथ्वी विज्ञान विभाग के रिटायर प्रोफेसर प्रो. सुनील बाजपेयी ने सोमवार को आईआईटी धनबाद में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक विलुप्ति की घटनाएं अल्प भूगर्भीय अवधि में विनाशकारी जैव विविधता हानि को दर्शाती हैं। अनुमान बताते हैं कि यदि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान दो सेंटीग्रेट से अधिक बढ़ता है तो 2100 तक 10-40 फीसदी प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। यह समस्या महासागरीय अम्लीकरण और तेजी से हो रहे पर्यावरणीय बदलावों के कारण और भी गंभीर हो सकती है। आईआईटी धनबाद में सोमवार को अनुप्रयुक्त भूविज्ञान विभाग की ओर से शताब्दी व्याख्यान के तहत पृथ्वी पर जीवन का सामूहिक विलुप्ति: अतीत, वर्तमान और भविष्य का आयोजन हुआ। व्याख्यान में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से पृथ्वी पर पांच प्रमुख व...