बहराइच, मई 6 -- बहराइच। युद्ध का जिक्र हो तो 1965 व 1971 का उन लोगों की आंखों के आगे फ्लेश बैक शुरू हो जाता है। जिन्होनें बचपन ही सही उस समय को देखा है। शहर के गुदड़ी मोहल्ले निवासी 70 वर्षीय राजेश कुमार मिश्रा शहर के घंटाघर चौक पर मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाते हैं। वह बताते हैं कि 1965 व 1971 दोनों युद्ध उन्होंने देखे हैं। तब शहर में ब्लैक आउट का सायरन बजते ही सब बिजली के बल्ब ही नहीं मिट्टी तेल से जलने वाली ढिबरी तक बंद कर दी जाती थी। खुले में बीड़ी, सिगरेट पीने की भी मनाही थी। सुरक्षित जगह लोग चले जाते थे। सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। जब तक दूसरी बार सायरन नहीं बजता था। तब तक ब्लैक आउट की स्थिति रहती थी।

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