मधुबनी, मई 30 -- रहिका, निज संवाददाता। प्राचीन मिथिला राज्य काल में सात सौ साल पूर्व चौदहवीं सदी में राजा हरिसिंह देव ने 14 गांवों को वर एवं कन्या के विवाह संबंध के लिए स्थान का चयन किया था। जिसमें सौराठ, खानागड़ी, परतापुर, शिवहर, ससौला, बलुआ, फतेपुर,गोविंदपुर, सुखासन, अखड़ी, हेमनगर, समसौल, बरुआली एवं साझोल में सभा लगता था। इन गांवों में मैथिल ब्राह्मणों की सभा तथा कायस्थ समाज का भी सभा अन्य गांवों में लगता था। कालान्तर में धीरे-धीरे वैवाहिक सभा स्थल की संख्या कम हो गई। पांच दशक पूर्व सीतामढ़ी जिले के ससोला में सभा लगता था। वर्तमान में मिथिला क्षेत्र में केवल सौराठ में ही सभावास होता है तथा इस क्षेत्र में पंजी सिद्धांत व्यवस्था कायम है। पंजीकार प्रमोद मिश्र ने बताया कि करीब एक दर्जन से अधिक पंजीकार विभिन्न जगहों पर वैवाहिक पंजी सालभर बनाते ह...