बिहारशरीफ, अप्रैल 10 -- 12वीं सदी के मध्य एशिया जलवायु संकट ने तुर्कों को उपजाऊ व समृद्ध भारत की ओर ढकेला और तबाह हुआ बिहार गुप्त, गुर्जर-प्रतिहार व चोल राजवंशों के उत्थान-पतन में जलवायु बदलावों की रही है अहम भूमिका मानव सभ्यता के विकास और पतन प्रक्रिया को भी जलवायु परिवर्तन करता रहा है प्रभावित पराग जीवाश्म के अध्ययन ने खोले 2000 साल में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव राजगीर किला मैदान से मिले पराग जीवाश्म का अध्ययन तय करेगा मगध साम्राज्य की सही तिथि फोटो : नालंदा महाविहार : प्राचीन नालंदा महाविहार। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता/आशुतोष कुमार आर्य। 12वीं शताब्दी के अंत में मध्य एशिया में उत्पन्न गंभीर जलवायु संकट (भीषण सूखा) ने तुर्कों को जीवन-यापन पर आफत ला दिया। ऐसे में वे उपजाऊ भूमि व समृद्ध सभ्यता वाले भारत की ओर बढ़े। और, तुर्कों ने नालंद...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.