नई दिल्ली, अगस्त 19 -- मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई को पत्र लिखकर एक वकील ने उनसे पर्यावरण संबंधी मामलों के त्वरित और प्रभावी निपटारे के लिए सभी उच्च न्यायालयों में विशेष और स्थायी 'हरित पीठ' गठित करने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया कि देश में 'जलवायु आपदाएं' और 'बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक हमले' हो रहे हैं। अधिवक्ता और पर्यावरण कार्यकर्ता आकाश वशिष्ठ ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) विवादों के निपटारे के लिए एक प्रभावी और कारगर मंच के रूप में उभरा है। पत्र में कहा गया कि एनजीटी अधिनियम, 2010 की अंतर्निहित सीमाएं नागरिकों के लिए पर्यावरण संबंधी न्याय पाने में बड़ी बाधाएं उत्पन्न करती हैं। पत्र में अनुरोध किया गया कि देश के सभी 25 उच्च न्यायालयों में (उच्चतम न्यायालय की तर्ज पर) एक या एक से अधिक विशेष और स्थायी 'हरित पीठ' का गठन ...