नई दिल्ली, अप्रैल 25 -- तांबे को अब "नया सोना" कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए नहीं कि यह सोने की जगह लेगा, बल्कि इसलिए कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में इसकी अहमियत बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे देश प्रदूषण कम करने (डीकार्बनाइजेशन) और नई तकनीकों की तरफ बढ़ रहे हैं, तांबे की मांग बिजली, क्लीन एनर्जी और डिजिटल दुनिया में छाई हुई है। यही वजह है कि निवेशकों की नजर अब सोने से हटकर तांबे पर टिक गई है।सोना vs तांबा: दोनों के अपने-अपने दम तांबे का इस्तेमाल हजारों सालों से हो रहा है। 19वीं सदी में इसकी बिजली चालकता (कंडक्टिविटी) ने टेलीग्राफ और बिजली के जमाने की शुरुआत की। आज अमेरिका में 70 लाख मील तांबे के तार बिछे हैं। वहीं, सोना हमेशा से पैसे की "सुरक्षित जगह" और महंगाई से बचाव का जरिया रहा है। तांबे को "डॉक्टर कॉपर" भी कहते हैं, क्योंकि यह दुनिया की आर्थिक...
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