दरभंगा, दिसम्बर 14 -- दरभंगा। रामकथा सत्संग महोत्सव के पहले दिन शनिवार को कोलकाता से आये आचार्य वेदानंद शास्त्री आनंद ने कहा कि ये मानव तन प्रभु की शरणागति के लिए ही बना है। प्रत्येक मानव को सकाम या निष्काम प्रभु से जुड़कर जीवनोपद्देश्य में लगना चाहिए। उन्होंने संत सेवा और जीव मात्र में भगवान की अनुभूति करते रहने की बात बताई। कहा कि भजन के बिना ये जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी गृहस्थी को ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा से चलते रहना चाहिए। उन्होंने सत्संग से सुंदर जीवन की भी व्याख्या की।

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