मेरठ, अप्रैल 21 -- रविवार को आर्य समाज थापर नगर में 'नमस्ते ही श्रेष्ठ अभिवादन क्यों विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में आर्य समाज थापर नगर के प्रधान राजेश सेठी ने कहा कि वैदिक काल से परस्पर मिलने पर अभिवादन के रूप में नमस्ते का ही प्रयोग होता आ रहा है। वेदों में तो परमात्मा के प्रति श्रद्धा और सम्मान अभिव्यक्त करने के लिए भी नमस्ते शब्द का प्रयोग किया गया है। मध्यकाल में विभिन्न संप्रदायों और क्षेत्रीय संगठनों ने अपने-अपने मत और महापुरुषों को प्रचारित करने के लिए अपने अभिवादन के साथ अनेक महापुरुषों के नाम और शब्दों को जोड़ दिया। नमस्ते शब्द परस्पर छोटे, बड़े, मित्र, बंधु, सखा, माता-पिता, पुत्र के प्रति भावनाओं को अभिव्यक्त करने का श्रेष्ठ माध्यम है। महर्षि देव दयानंद ने इसको समाज में स्थापित किया और यह अभिवादन आर्य समाज के...
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