वाराणसी, मार्च 9 -- वाराणसी। संगीत न सरहदों में बंधता है, न संबंधों में। न ही समाजजनित जात-पात के भेद ही संगीत का रास्ता रोक पाते हैं। इसकी एक नायाब नजीर उस्मान मीर की गायिकी ने शनिवार की रात पेश की। गंगा जमुनी तहजीब वाले नजीर बनारसी के शहर बनारस में मीर ने महादेव के जयघोष से शुरू की स्वर यात्रा को महान भारत के जयगान तक ले जाकर विराम दिया। जब वह मां तुझे सलाम गीत गा रहे थे, उस समय समूचे ताज परिसर में जो जहां था, वहीं से उनके साथ वंदेमातरम् गाने की कोशिश कर रहा था। सुर और साज के साथ श्रोताओं की आवाज तारतम्य भले ही नहीं बैठा पाई, लेकिन सबका जोश जबरदस्त बना रहा। वंदेमातरम को अलग-अलग स्केल पर अलग-अलग अंदाज में पेश करके उन्होंने श्रोताओं को अपना दीवाना बना लिया। देशभक्ति गीत गाते-गाते अचानक फिर से शिव भक्ति के सुर लगा दिए। 'शिव जैसा दाता कोई न...
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