नई दिल्ली, अगस्त 12 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दंपत्ति के बीच तलाक के बाद परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने का कोई वैध उद्देश्य नहीं है। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने दहेज अधिनियम समेत अन्य प्रावधानों के तहत दर्ज लड़के के पिता के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए यह निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में पूर्ण न्याय के लिए अनुच्छेद 142 (पूर्ण न्याय करने) के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि एक बार जब वैवाहिक संबंध तलाक में समाप्त हो जाता है और पक्षकार अपने जीवन में आगे बढ़ जाते हैं, तो परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कोई वैध उद्देश्य पूरा नहीं करता है। आदेश में आगे कहा गया कि यह केवल कड़वाहट को बढ़ात...