नई दिल्ली, अप्रैल 22 -- दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी का पेट जिस चावल से भरता है, अब वही चावल एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है। हाल ही में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते चावल में जहर जैसे आर्सेनिक की मात्रा बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो साल 2050 तक सिर्फ चीन में ही करीब 1 करोड़ 93 लाख लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के शिकार हो सकते हैं। रिपोर्ट में भारत समेत अन्य एशियाई देशों में भी बढ़ते खतरे का संकेत दिया है। आर्सेनिक कोई नया तत्व नहीं है। यह जमीन, पानी और हवा में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। लेकिन जब धान की खेती होती है, तो मिट्टी से यह आर्सेनिक पौधों के जरिए चावल में पहुंच जाता है। वैसे तो यह मात्रा मामूली होती है, लेकिन अगर लगातार सा...