नई दिल्ली, अक्टूबर 8 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि घटनास्थल पर मौजूदगी किसी व्यक्ति को गैरकानूनी रूप से एकत्र भीड़ का हिस्सा नहीं बनाती, जब तक कि यह स्थापित न हो जाए कि उसका भी उद्देश्य समान था। अदालत ने तमाशबीन लोगों को केवल उनकी मौजूदगी के आधार पर दोषी करार देने से रोकने के लिए अदालतों के वास्ते मानदंड निर्धारित किए। न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने 1988 में बिहार के एक गांव में हत्या और गैरकानूनी रूप से एकत्र होने के अपराध के लिए उम्रकैद काट रहे 12 दोषियों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि जहां बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ आरोप लगाए जाते हैं, वहां अदालतों को साक्ष्यों की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए, खासकर यदि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य अस्पष्ट हों। पीठ ने कहा कि महज घटनास्थल पर मौज...