प्रयागराज, जुलाई 23 -- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग और राष्ट्रीय भूगोलवेत्ता संघ मध्य क्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को 'भूगोल अध्ययन में अनुसंधान पद्धति में अभिनव प्रगति' विषय पर एक दिनी कार्यशाला हुई। मुख्य वक्ता इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जिओमॉर्फोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार डे ने बताया कि भू-आकृति विज्ञान पृथ्वी की सतह की बनावट और बदलाव को समझने का विज्ञान है, जो नदियों, पहाड़ों, तटों जैसी आकृतियों के निर्माण में चट्टानों, मिट्टी और जल की भूमिका को दर्शाता है। यह जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों के पूर्वानुमान और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में सहायक है। यह विज्ञान इंजीनियरों को ढलानों की स्थिरता, पेट्रोलियम भूवैज्ञानिकों को तेल और गैस के भंडार खोजने और पुरातत्वविदों को प्राचीन अवशेषों के संरक...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.