वाराणसी, सितम्बर 28 -- वाराणसी। पं. विद्यानिवास मिश्र के जन्म-शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में साहित्यिक संघ एवं विद्याश्री न्यास की ओर से 'हिंदी की धरोहर: काशी की सृजन-परंपरा के छठे चरण में रविवार को अर्दली बाजार स्थित राजकीय पुस्तकालय में हिंदी साहित्य को शिवरानी देवी और जयशंकर प्रसाद के अवदान पर परिचर्चा हुई। डॉ. शुभ्रा श्रीवास्तव ने साहित्य के क्षेत्र में कम चर्चित रही शिवरानी देवी के अप्रतिम योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि वह आजादी की लड़ाई में जेल गईं और वहां भी सभी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ समान व्यवहार के लिए धरना दिया। वहीं प्रो. कमलेश वर्मा ने कहा कि प्रसाद के यहां ऐसा कोई शब्द नहीं, जो अबूझ हो, जिसकी कोई परंपरा न हो। कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका उपयोग प्रसाद ने ही किया और बाद के रचनाकारों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया। दलित-विमर्श...