देहरादून, सितम्बर 4 -- हिमालय को 'तीसरा ध्रुव' कहा जाता है क्योंकि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के बाद यह सबसे बड़ा हिमनद (ग्लेशियर) क्षेत्र है। दक्षिण एशिया के सात देशों के करीब 75 करोड़ लोगों की जल आपूर्ति सीधे हिमालय पर निर्भर करती है। लेकिन वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ने इस जीवनदायिनी पर्वत श्रृंखला पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के निदेशक एवं वरिष्ठ वायुमंडलीय वैज्ञानिक प्रो. मनीष कुमार नजा ने हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में चेतावनी दी कि ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं, कुछ तो गायब भी हो चुके हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो आने वाली पीढ़ियों के सामने पानी का बड़ा संकट खड़ा होगा। कोयला आधारित बिजली संयंत्र, ऑटोमोबाइल, उद्योग, पारंपरिक कृषि पद्धतियां और जंगल की आग हिमालयी वायु प्रदूषण...