हरिद्वार, फरवरी 17 -- हरिद्वार, संवाददाता। गुरुकुल कांगड़ी विवि के डॉ. शिवकुमार चौहान ने दयानंद स्टेडियम प्रांगण में भारत में मनोविज्ञान की वर्तमान स्थिति तथा अनुसंधान की आवश्यकता पर आयोजित परिसंवाद में बताया कि हिन्दू सनातन संस्कृति में सुख-दुखः को जीवन में सर्वाधिकअहम माना गया है। उन्होंने बताया कि वैदिक तथा धर्मशास्त्र से जुड़े विद्वान सुख-दुखः का मूल कारण कर्मों की खेती मानते हैं। कर्म पर आधारित सुख-दुखः व्यक्ति के स्वयं के व्यवहार द्वारा संचालित रहते हैं, जिनके प्रभाव को समझने के लिए व्यवहार (मनोविज्ञान) की बारीकियों को जानना जरूरी होता है। कर्म की बेहतरी में मानव कल्याण का भाव निहित है। बताया कि युवा पीढी को सुख-दुखः के प्रभाव, कारणों तथा उत्पन्न स्थिति से विचलित होने से बचाव के लिए मार्गदर्शित किया जाना आवश्यक है।

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