नई दिल्ली, जुलाई 19 -- वह फूलों का मौसम था। सारे फूल खिले हुए थे या खिलने को मचल रहे थे। अमेरिका में बसंत की बहार थी। देखकर मन खिल उठता था, खिले हुए मन में अच्छे-अच्छे विचार आते थे। उस 26 वर्षीय युवा के मन में भी यादें उमड़ आती थीं कि कैसे अपने तमिलनाडु के गांवों में भी फूल खिले होंगे। बसंत की बहार ने वहां भी अपनी हरियाली-खुशहाली से कोना-कोना सजा दिया होगा! और, यहां परदेश में मुझे कितने बरस बीत गए! आईआईटी की पढ़ाई के बाद मद्रास क्या छूटा, अपना देश भारत ही छूट गया। यहां एमएस और पीएचडी की पढ़ाई भी पूरी हो गई है, तो अब तय करना है कि दुनिया में कहां बसना है। वैसे भी, भारत के प्रतिभावान युवाओं को दुनिया के तमाम देश अपने यहां रखना चाहते हैं। वह युवा इंजीनियर महोदय शिक्षा के क्षेत्र में जाना चाहते थे। ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में ऑस्ट्रेलियन नेशनल ...
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