नई दिल्ली, अगस्त 23 -- सुधीश पचौरी,हिंदी साहित्यकार अच्छी खबरें जलाती हैं और बुरी ठंडक पहुंचाती हैं। किसी को कुछ मिला, तो जला; किसी की किताब आई, तो चिढ़ा; किसी का सम्मान हुआ, तो बुरा लगा; कोई सेमिनार में बका, तो मन ही मन गरिआया; किसी का चेक आया और उसकी खबर फेसबुक पर देखी, तो पेट में मरोड़ उठी। किसी की रचना फ्रेंच, जर्मन, अंग्रेजी में अनुदित होकर छप रही है, किसी की पंजाबी, गुजराती और मलयाली में छपने वाली है, जिसकी खबर उसने इंस्टाग्राम पर लगाई है। सच कहूं, दिल धू-धू कर जलने लगता है। इसे कोई भी 'फायर ब्रिगेड' नहीं बुझा सकती। मगर यदि किसी लेखक ने किसी को 'शट अप' कर दिया, किसी ने किसी की पोल खोल दी, किसी ने किसी की चोरी पकड़ ली, किसी ने सबके आगे किसी को दुत्कार दिया, किसी ने किसी को 'अनफ्रेंड' कर दिया, किसी ने किसी को 'ब्लॉक' कर दिया, किसी ने ...
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