दरभंगा, जुलाई 29 -- शृंगार रस की नामचीन कवयित्री डॉ. तिष्या श्री ने अपने गीतों से समां बांध दिया। तुम्हारे बिन कहां मुमकिन है रहना... चाहती हूं कि कोई गीत तुम पर लिखूं, जीत लो तुम मुझे, खुद मैं हार गई हूं ..जैसे गीतों पर श्रोता प्रेम रस में सराबोर रहें। । उनकी ओर से पेश किया गया गीत हाल खुद पर लिखूं, गीत तुम पर लिखूं ... ने श्रोताओं को सकून पहुंचाया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित...