बरेली, अगस्त 4 -- माता-पिता की जेब में प्राइवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस न भरने का पैसा और गुरबत से निकलन की जद्दोजहद ही है जो मासूमों जान जोखिम में डालकर ऐसे भवन में पढ़ने को मजबूर कर रही है, जो कभी भी अनहोनी का सबब बन सकता है। हालांकि इनकी दुर्दशा सुधरने के लिए भारी भरकम बजट खपा दिया गया लेकिन इन स्कूलों के हालात नहीं बदले। जिन भवनों को अफसरों ने जांच में सही ठहराया दिया, वह खुद अपनी बयां कर रहे हैं। जर्जर होने के बावजूद उनमें कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कुछ जगह छत से गिरते प्लास्टर को पैबंद लगाकर रोकने का प्रयास किया गया है। कइयों छत से प्लास्टर गिरने की घटनाएं होने से हर वक्त डर का माहौल बना रहता है। शासन-प्रशासन का प्रयास है कि समाज के संपन्न परिवार भी अपने बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा दिलाएं। प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश ...