बलरामपुर, मार्च 11 -- गैंड़ास बुजुर्ग। जामिया अली हसन अहले के मौलाना एजाज रज़ा हशमती ने बताया कि रमजान में रोजा रखने, नमाज और कुरआन पढ़ने के साथ जकात और फितरा देने का भी बहुत महत्व है। मौलाना एजाज बताते हैं कि जकात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। रमजान के महीने में ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात देना हर हैसियतमंद मुसलमान पर फर्ज होता है। जिस मुसलमान के पास इतना पैसा या संपत्ति हो कि वह उसके अपने खर्च पूरे हो रहे हों और वह किसी की मदद करने की स्थिति में हो तो वह जकात (दान) करने का पात्र बन जाता है। रमजान में इस दान को दो रूप में दिया जाता है, जिसे फितरा और जकात कहते हैं।

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