नई दिल्ली, अक्टूबर 14 -- नई दिल्ली। अभिनव उपाध्याय राजधानी में प्राचीन ही नहीं बल्कि मुगलकाल से लेकर वर्तमान काल तक कई रंगों के दीपक से दिल्ली जगमगाई है। आजादी से पहले मुगलकाल में दीपावली का दिल्ली में मनाए जाने का इतिहासकार जहां विशेष उल्लेख करते हैं। वहीं 1911 में जब दिल्ली राजधानी बनी तब भी यहां दीपावली विशेष तरह से मनाई गई। यही नहीं आजादी से पहले और आजादी के बाद भी दीपावली का अपना महत्व कायम है। मुगलों के समय इसे जश्न ए चिरागां कहा जाता था। देश के स्वतंत्रता संग्राम पर शोध करने वाले डीयू में इतिहास के प्रोफेसर अमित कुमार सुमन का कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान दीवाली का उत्सव केवल धार्मिक या सामाजिक प्रसंग नहीं रहा, बल्कि इसे स्वराज, नैतिक उत्थान और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में पुनर्परिभाषित किया गया। महात्मा गांधी ...
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