हल्द्वानी, मई 29 -- हल्द्वानी,संवाददाता। विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं। पर्यावरणविद् एवं पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. आशुतोष पन्त ने सुझाव दिया है कि 5 जून को पौधरोपण की बजाय जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान जैसे सार्थक कार्य किए जाएं। डॉ. पन्त का कहना है कि जून में ज़्यादातर इलाकों में ज़मीन झुलसती है, ऐसे में सार्वजनिक स्थलों पर पौधे लगाना उनकी हत्या जैसा है। हमारे पूर्वजों ने हरेला और हरियाली तीज जैसे पर्वों के माध्यम से प्राकृतिक समय का संकेत दिया है। जुलाई मध्य से जब मानसून स्थिर होता है, तब पौधे लगाना उन्हें जीवनदान देना है।

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