नई दिल्ली, अक्टूबर 15 -- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय ने हरित पटाखों को हरी झंडी दिखाकर जहां एक बड़े वर्ग को खुश कर दिया है, वहीं एक वर्ग ऐसा भी है, जो प्रदूषण की आशंका से चिंतित है। इसमें कोई दोराय नहीं कि आम जनभावना और सरकारों की गुहार के सामने सर्वोच्च न्यायालय ने उदारता का परिचय दिया है। जब दीपावली के दिन देश भर में पटाखों का उपयोग होता है, तब केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को प्रदूषण के नाम पर आतिशबाजी से वंचित करना सामान्य रूप से अतार्किक लगता है। स्वाभाविक बात है, पटाखे अगर बुरे हैं, तो पूरे देश के लिए बुरे हैं और प्रतिबंध भी पूरे देश में लगना चाहिए, पर समाज के कुछ ऐसे पहलू होते हैं, जहां समझौते मजबूरी बन जाते हैं। किसी भी लोकतंत्र में तंत्र का संचालन स्थानीय लोक के हाथों में होता है। लोकतंत्र में यही प्रक्रिया ह...