नई दिल्ली, अगस्त 7 -- अरुण कुमार,वरिष्ठ अर्थशास्त्री अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब तक अपनी शर्तों पर व्यापार समझौता नहीं कर लेते, तब तक वह टैरिफ से दबाव बनाते रहते हैं। कनाडा इसका बड़ा उदाहरण है, जिस पर पहले से लागू 25 फीसदी शुल्क को बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। यूरोपीय संघ ऐसे ही दबाव में घुटने टेक चुका है। लिहाजा, भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले को इसी नजरिये से देखना उचित होगा। इसका वस्त्र, रत्न व आभूषण, ऑटो पार्ट्स, सी फूड जैसे कई भारतीय निर्यातों पर असर पड़ेगा और अमेरिकी बाजार में इनकी आवक कम हो सकती है। हम चाहकर भी अपने दाम कम नहीं कर सकते, क्योंकि हमारा मुनाफा कम है। बमुश्किल चार-पांच प्रतिशत कटौती ही इनके मूल्यों में की जा सकेगी। ऐसे में, हमारी प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों (जिनका टैरिफ हम से कम होगा) को इसका लाभ मि...
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