नई दिल्ली, नवम्बर 2 -- मेडिकल जर्नल 'लैंसेट' की यह रिपोर्ट हैरान नहीं करती कि भारत में 2010 की तुलना में 2022 में हवा में मौजूद घातक पीएम 2.5 कणों की मात्रा 38 प्रतिशत बढ़ी और इसके कारण अकेले 2022 में 17 लाख से अधिक लोगों की असमय मृत्यु हो गई। यह इसलिए हैरान नहीं करती, क्योंकि वायु प्रदूषण कोई एक दिन की परिघटना नहीं है। वर्षों से यह कहा जाता रहा है कि भारत में वायु प्रदूषण इंसानों की सेहत बिगाड़ रहा है। मगर किसी के कान में जू तक नहीं रेंगी। नतीजतन, भारत में वायु प्रदूषण विकराल रूप ले चुका है। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, कानपुर जैसे तमाम छोटे-बड़े शहरों में लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। यहां प्रतिकूल हालात होने के बावजूद सुधार के ठोस उपायों को लागू न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकारों की विफलता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि...