मुजफ्फरपुर, फरवरी 19 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बीआरएबीयू के राजनीति विज्ञान विभाग की तरफ से चल रहे दो दिवसीय सेमिनार भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का ऐतिहासिक विकास का समापन मंगलवार को हो गया। दूसरे दिन दिल्ली विवि के वरिष्ठ प्राध्यापक व पूर्व सांसद प्रो. राकेश सिन्हा ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमें पश्चिमी सभ्यता या विश्व से तुलना करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम स्वयं श्रेष्ठ हैं। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को सकारात्मक भाव से ही परिभाषित किया जा सकता है। भारत वर्ष में निवास करने वाले सभी लोग उसके हिस्सेदार हैं। भारत के धर्म और पश्चिम के धर्म में सबसे बड़ा अंतर वैश्विक चेतना और ब्रह्मांडीय चेतना का है। गांधी ने ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़कर काम किया, इसलिए वह कालजयी हो गये। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रवाद में असहमति और आलोचना क...