नई दिल्ली, जुलाई 4 -- जवाहरलाल नेहरू,तत्कालीन प्रधानमंत्री उपाध्यक्ष महोदय, गत कुछ सप्ताहों में इस सभा तथा उस सभा में भी तिब्बत में हुई घटनाओं का मामला कई बार उठा है।... अभी मुझसे पहले जिन माननीय सदस्य ने अपना भाषण दिया है, उन्होंने हमारी नीति के उन मूल सिद्धांतों को चुनौती दी है, जिसे इस सभा ने और संपूूर्ण देश ने स्वीकार किया है।... या तो उन्होंने कभी भी उन मूल सिद्धांतों में विश्वास ही नहीं किया या फिर तिब्बत में हुई घटनाओं के कारण उनका मत बदल गया है। ...मैं सामान्य रूप से बता देना चाहता हूं कि हमने दलाई लामा पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं, सिवाय समझदारी और औचित्य की मर्यादा के, और इसके निर्णायक वह स्वयं हैं। पर माननीय सदस्य का यह सुझाव देना कि हम उन्हें भारत में एक आंदोलन संगठित करने की छूट दे दें, जिसका सुझाव स्वयं दलाई लामा तक ने नहीं दिय...