नई दिल्ली, अगस्त 1 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट और एक ट्रायल कोर्ट द्वारा हत्या के एक मामले में आरोपी को किशोर घोषित करने का आदेश रद्द कर दिया और कहा कि 2011 में कथित अपराध के समय वह बालिग था। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी को तीन साल की सजा पूरी करने पर रिहा कर दिया था और उसे तीन सप्ताह में ट्रायल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह मामले में जमानत लेने के लिए स्वतंत्र होगा। पीठ ने कहा कि यद्यपि आरोपी द्वारा पहले स्कूल में पढ़ाई के दौरान जारी प्रमाण पत्र में उसकी जन्मतिथि 18 अप्रैल, 1995 दर्ज थी, लेकिन उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 के तहत बनाए गए परिवार रजिस्टर में उसका जन्म वर्ष 1991 दर्ज था। इसने आगे कहा कि 2012 की मतद...