नई दिल्ली, अगस्त 14 -- कैलाश सत्यार्थी,नोबेल शांति से सम्मानित सुधारक आज देश 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लंबे संघर्ष और अनगिनत बलिदानों के बाद हमें यह आजादी मिल सकी। दुनिया के अलग-अलग देशों के स्वतंत्रता संग्रामों की रणनीतियां ही नहीं, बल्कि चरित्र भी अलग-अलग रहे, जिनका आधार वहां की संस्कृति, समाज और इतिहास के मूल्य रहे हैं। भारत की आजादी के संघर्ष की जड़ें सर्वहितकारी, मानवीय व आध्यात्मिक मूल्यों से लेकर समानता और न्याय के वैश्विक दर्शन तक फैली हुई हैं, जो उसे अद्वितीय बनाती हैं। एक तरफ, गांधीजी शांति, सत्य और अहिंसा के हथियारों से लड़े। यह आजादी के संघर्ष में एक नवाचार था। वह समाज में फैली हर तरह की बुराई, विसंगति और सांप्रदायिक भेदभाव का अंत भी चाहते थे। दूसरी तरफ, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद का बंदूक और बम का दर्शन ब्रिटिश हुकूमत...