महाराजगंज, मार्च 18 -- महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। रमजान का महीना साल के सभी महीनों में सबसे अफजल और बरकत वाला महीना है। इस महीने की शबेकद्र की रात इतनी अफजल है कि इसे हजार रातों से अफजल माना गया है। क्योंकि इस रात में इंसान अपनी इबादत की बदौलत अपने गुनाहों को माफ कराकर जन्नत में जगह बना सकता है। मदरसा अरबिया अताउर्रसूल मस्जिदिया ढाला के प्रधानाचार्य मौलाना मोहम्मद सेराजुद्दीन कहते हैं कि इस महीने सभी शैतानों को लोहे की जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। हर मोमिन के सिर पर एक फरिश्ता रहमत का तबक लिए पूरे माह खड़ा रहता है। इस उम्मीद के साथ कि इफ्तार के समय रहमत की वह थाली अपने बंदे पर निसार कर दे। रमजान के महीने में एक नेकी का सत्तर सवाब और फर्ज नमाजों के बराबर सवाब मिलता है। रमजान के तीन अशरे हैं। पहला अशरा रहमत का, दूसरा मग्फिरत का और तीसरा अशर...