हजारीबाग, फरवरी 16 -- हजारीबाग, वरीय संवाददाता। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर मालवीय मार्ग में प्रांतीय योजनानुसार कक्षा अरुण से तृतीय तक के भैया- बहनों के अभिभावकों की गोष्ठी आयोजित की गई। इस गोष्ठी का आयोजन शिशु वाटिका विभाग द्वारा सुवर्णप्रशन संस्कार की उपयोगिता से संबंधित था। इस अवसर पर प्रधानाचार्य संजीव कुमार झा ने कहा कि विद्यालय में अध्यनरत शिशुओं के समग्र विकास के लिए उसके स्वास्थ्य स्थान का विचार सबसे पहले करना अति आवश्यक है। हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन और बुद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि सुवर्णप्रशन दो शब्दों के जोड़ से बना है- सुवर्ण अर्थात सोना और प्रशान अर्थात चाटना या पिलाना। सुवर्णप्राशन शून्य आयु वर्ग से लेकर 8 वर्ष तक के आयु वर्ग के शिशु को प्रदान किया जाता है। इसका सेवन करने से शिशु का शारीरिक, मानस...