हापुड़, अक्टूबर 3 -- आज इस स्वतंत्रता पर सबसे बड़ा संकट उसी स्वरूप से खड़ा हो रहा है, जिसे धर्मांतरण कहा जाता है। छल, बल और प्रलोभन से होने वाला धर्मांतरण किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है और समाज की सांस्कृतिक अस्मिता पर आघात है। इसी कारण भारत के अनेक राज्यों ने धर्म-स्वातंत्र्य कानून बनाए है। यह विचार शुक्रवार शाम को दिल्ली रोड स्थित सिद्धपीठ बालाजी मंदिर में धर्म-स्वातंत्रय-भारत की आत्म रक्षा पर आयोजित प्रेसवार्ता में यशवर्धन आचार्य महाराज ने कहें। उन्होंने कहा कि धर्म-स्वातंत्र्य का सही अर्थ हमारे संविधान का अनुच्छेद 25 स्पष्ट कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता है कि वह अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सके। लेकिन यह भी कहा गया है कि यह स्वतंत्रता जन-व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है। इसका सीधा अर्थ है कि आप...