नई दिल्ली, अगस्त 12 -- एक जिज्ञासु शिष्य ने यह प्रश्न किया है कि इस नश्वर संसार में कल्याणकारी ज्ञान क्या है? दरअसल, पंचमहाभूतों से बना यह ब्रह्मांड एक सापेक्ष सत्य है, यानी निरंतर बदलने वाला, अस्थायी और क्षणभंगुर। समय बदलता है, स्थान बदलता है और व्यक्ति भी बदलता है। अतीत में जो संपन्नता थी, वे पूरी तरह से नष्ट होकर या समय की वजह से धरती में समा गए हैं। यह वक्त की परिवर्तनशीलता और सापेक्षता को दर्शाता है कि जो कुछ भी इस संसार में है, वह स्थायी नहीं है। कभी शक्तिशाली रहे जीव-जंतु विलुप्त हो गए और प्रभावशाली रहे शासक एवं विद्वान इतिहास के पन्नों में रह गए। इस परिवर्तनशील संसार में केवल एक ही सत्य शाश्वत है- परम पुरुष, जो अनादि, अनंत, अविनाशी और अपरिवर्तनीय हैं। वही सृष्टि के आदि और अंत हैं। अतः मनुष्य को अपनी शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शक...
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